Parmar Dynasty & History
परमार को 36 राजपूत राजवंशों के अंतर्गत माना जाता है। 8 वीं से 13 वीं शताब्दी तक इस राजपूत वंश ने पूरे भारत पर शासन किया था। परमार अग्निवंशी राजपूत के वंशज हैं। यह लिखा और कहा गया है कि परमार राजपूत का पहला कबीला एक अग्निकुंड से उत्पन्न "अर्बुदचल" (अबू पर्वत) से था, और यह साहित्य में सिद्ध है और पुराने शिलालेख में भी लिखा गया है। परमार राजपूतों को "अग्नि वंशी" माना जाता है। परमार के अस्तित्व का उल्लेख "नवसाहसखंड" उपन्यास में किया गया था, जिसे प्रसिद्ध लेखक पद्मगुप्त ने लिखा था। ऐतिहासिक पाठ में पद्मगुप्त द्वारा उल्लेख किया गया है कि परमार एक अग्नि कुंड से थे। अरबुदचल महर्षि वशिष्ठ की धर्मपत्नी थी। और वह उनके कबीले का पुजारी था। एक बार महर्षि वशिष्ठ की होली गाय (कामधेनु) को ऋषि विश्वामित्र ने गलत तरीके से लिया। इसके कारण ऋषि वशिष्ठ क्रोधित हो गए और उन्होंने कुछ पवित्र कहना शुरू कर दिया और अग्नि कुंड से रक्त की कुछ बूंदों का त्याग किया। परिणामस्वरूप आग से एक बहादुर सज्जन पैदा हुए। ऋषि वशिष्ठ ने उन्हें अपनी गाय (कामधेनु) वापस पाने के लिए कहा। वह ऋषि विश्वामित्...