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Raja Desingh Alias Tej Singh Bundela

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  Raja Tej Singh: Rajput Soldier and Tamil Hero Legends continue but he’s slowly being forgotten.  Follow us @Twitter In Tamil Hero , Tej singh bundela is popularly called as Raja Desingu , which is tamilised name . In recognition of the military services of the Rajput chieftain, Aurangzeb is believed to have conferred the mansabdari and khiladari at Gingee in 1700 AD. In return, Swarup Singh bundela was to pay a huge tribute to the Emperor through the Emperor’s deputy in the South, Nawab of Arcot. However, in 1714 AD Swarup Singh died of natural causes. Nawab Sadatullah Khan of Arcot claimed a hefty tribute as overdue. The headless fort was unable to meet the demand. As soon as the news of his father's death reached his ancestral home Bundelkhand , Tej Singh started the journey to Gingee with his newly married wife. In his journey he reached at bednur , in the east of the Mysore plateaue .The Raja of bednur was then at war with the Marathas .He had solicited the help o...

Parmar Dynasty & History

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परमार को 36 राजपूत राजवंशों के अंतर्गत माना जाता है। 8 वीं से 13 वीं शताब्दी तक इस राजपूत वंश ने पूरे भारत पर शासन किया था। परमार अग्निवंशी राजपूत के वंशज हैं। यह लिखा और कहा गया है कि परमार राजपूत का पहला कबीला एक अग्निकुंड से उत्पन्न "अर्बुदचल" (अबू पर्वत) से था, और यह साहित्य में सिद्ध है और पुराने शिलालेख में भी लिखा गया है। परमार राजपूतों को "अग्नि वंशी" माना जाता है। परमार के अस्तित्व का उल्लेख "नवसाहसखंड" उपन्यास में किया गया था, जिसे प्रसिद्ध लेखक पद्मगुप्त ने लिखा था। ऐतिहासिक पाठ में पद्मगुप्त द्वारा उल्लेख किया गया है कि परमार एक अग्नि कुंड से थे। अरबुदचल महर्षि वशिष्ठ की धर्मपत्नी थी। और वह उनके कबीले का पुजारी था। एक बार महर्षि वशिष्ठ की होली गाय (कामधेनु) को ऋषि विश्वामित्र ने गलत तरीके से लिया। इसके कारण ऋषि वशिष्ठ क्रोधित हो गए और उन्होंने कुछ पवित्र कहना शुरू कर दिया और अग्नि कुंड से रक्त की कुछ बूंदों का त्याग किया। परिणामस्वरूप आग से एक बहादुर सज्जन पैदा हुए। ऋषि वशिष्ठ ने उन्हें अपनी गाय (कामधेनु) वापस पाने के लिए कहा। वह ऋषि विश्वामित्...

Maharana Pratap & Ram Prasad

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महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक के बारे में तो सुना ही होगा लेकिन उनका एक हाथी भी था जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। उदयपुर के टाइगर हिल स्थित प्रताप गौरव केंद्र में महाराणा प्रताप और उनके प्रिय हाथी की प्रतिमा लगाई गई है जो उनका प्रेम बयां करती है। इसका विवरण वहां दिया गया है।दरअसल, रामप्रसाद हाथी का उल्लेख अल बदायूंनी ने जो मुगलों की ओर से हल्दीघाटी के युद्ध में लड़ा था ने अपने एक ग्रन्थ में किया है । वो लिखता है कि जब महाराणा पर अकबर ने चढ़ाई की थी तब उसने दो चीजों को बंदी बनाने की मांग की थी एक तो खुद महाराणा और दूसरा उनका हाथी रामप्रसाद।महाराणा प्रताप का हाथी रामप्रसाद इतना समझदार व ताकतवर था कि उसने हल्दीघाटी के युद्ध में अकेले ही अकबर के 13 हाथियों को मार गिराया था और उस हाथी को पकडने के लिए 7 हाथियों का एक चक्रव्यूह बनाया था और उन पर 14 महावतों को बिठाया तब कहीं जाके उसे बंदी बना पाए थे। अकबर ने उसका नाम पीरप्रसाद रखा था। रामप्रसाद को मुगलों ने गन्ने और पानी दिया पर उस स्वामिभक्त हाथी ने 18 दिन तक मुगलों का न दाना खाया और न पानी पीया और वो शहीद हो गया तब अकबर ने कहा था कि ...